दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक हैं महाकाली। जिनके काले और डरावने रूप की उत्पति राक्षसों का नाश करने के लिए हुई थी। प्राचीन काल की बात है,सम्पूर्ण सृष्टी के जलमगन होने के बाद भगवान विष्णुशेषनाग की शय्या पर योगनिद्रा लीन में थे। तभी उसी समय अचानक, भगवान विष्णु के कान से मधु और कैटभ नाम के दो पराक्रमी असुर उत्पन्न हुए। यह दोनों असुर भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न हुए कमल के फूल के ऊपर विराजमान ब्रह्मा जी को खाने के लिए उन्हें मारने का प्रयास करने लगे। जब ब्रह्माजी ने देखा कि दोनों असुर उन पर आक्रमण कर रहें हैं, तब उन्होंने अपनी रक्षा के लिये आदिशक्ति की स्तुति की और उनसे मदद मांगी । उन दोनों असुरों के वध हेतु माँ आदिसक्ति,फाल्गुन शुक्ला की द्वादशी को माँ महाकाली के रूप में अवतरित हुई। उसी पल भगवान विष्णु भी योगनिद्रा से उठ गयें और अपने…
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