मसान वह स्थान है जहा पर चिताएँ जलती हैं । पञ्च भूत से निर्मित शरीर का अग्नि में हवन । पञ्च भूतों से बना शरीर राग, द्वेष, घृणा , स्वार्थ और लोभ से पूर्ण होता है । परम तत्त्व आत्मा इन सारे दोषों को त्याग कर नश्वर शरीर को हविष्य बना कर दूर खड़ी अग्नि को हविष्य रुपी शरीर का भक्षण करते हुए देखती है । चिता वह परमानुभुती है जिसके ऊपर महाकाली विराज कर मनुष्य और आत्मा के सारे बंधन काटती हैं । शरीर के हविष्य के रूप में अर्पण के बाद वह महाप्रसाद बन जाता है । पञ्च भूतों का त्याग स्थल ही श्मशान है मसान है हृदय है और सहस्रार है । ह्रदय में लोभ ,मोह ,माया, स्वार्थ और घृणा को त्याग के योगी परमात्मा की अनुभूति करते हैं । श्मशान मोक्ष का द्वार है । श्मशान में विरक्ति होती है क्यूंकि अंतिम सत्य मृत्यु का साक्षात्कार होता है । सारे बंधन नाते रिश्ते प्रेम प्यार आकर्षण सम्मोहन चिता पर लेटे व्यक्ति से दूर हो जाते है। जिस प्रेम के लिए सब दुनिया से लड़ जाते है प्रत्यक्ष देव रुपी माता पिता को त्याग देते हैं वह प्रेम रुपी शारीरिक आकर्षण भी नगण्य हो जाता है। बस उस समय बाहें फैलाये महाकाली महामाया अपने बच्चे को अपने आँचल में समेट लेती है । इसीलिए मसान अघोरियों का वास है। अघोर परम सत्य की अनुभूति में विश्वास रखता है
पंडित श्याम डोगरा
ठीक लिखा है आपने.
So many thanks Rekha 🙂