इस विद्या या ज्ञान का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथों में किया गया है। इस विद्या को प्राप्त करने पर व्यक्ति को न तो भूख लगती है और न ही प्यास लगती है और वह कई दिनों तक बिना कुछ खाए-पिए पानी पिए रह सकता है।
हिमालय के अनेक योगी महीनों-वर्षों तक बिना कुछ खाए-पिए गहन साधनाओं में मग्न रहते हैं। जब वे खाते-पीते नहीं हैं, तो उन्हें अपनी आंतें भी खाली नहीं करनी पड़ती हैं। इस प्रकार वे वर्षों तक लंबी तपस्या करने में सक्षम होते हैं और उनका शरीर बिना भोजन के भी स्वस्थ और फिट रहता है। नेपाल के प्रसिद्ध तांत्रिक आचार्य विष्णु सारंग और योगी मनोहर इस विद्या में पारंगत हैं।
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